चंचल मन के कोने मे
मधुर एहसास ने
ली जब अंगडाई,
रेशमी जज्बात का आँचल
पर फैलाये देखो फलक फलक...
खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से
कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...
अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...
रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक...
- सीमा गुप्ता
मधुर एहसास ने
ली जब अंगडाई,
रेशमी जज्बात का आँचल
पर फैलाये देखो फलक फलक...
खामोशी के बिखरे ढेरो पर
यादों के स्वर्णिम प्याले से
कुछ लम्हे जाएँ छलक छलक...
अरमानो के साये से उलझे
नाजों से इतराते ख़्वाबों को
चुन ले चुपके से पलक पलक...
ये मोर पपीहा और कोयल
सावन में भीगी मस्त पवन
रास्ता देखे कब तलक तलक...
रात के लहराते पर्दों पे
नभ से चाँद की अठखेली
छुप जाये देके झलक झलक...
- सीमा गुप्ता
" thanks for presenting my poem here"
ReplyDeleteRegards
मानवीकरण अलंकार एवं विरह श्रृंगार रस की सुन्दर प्रस्तुति. आशा है आगे और बेहतर रचनाओं को जन्म देंगी.
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