Monday, December 20, 2010

पापा मेरे पापा


इस मंच की कवियत्री शिखा वर्मा "परी" ने अपना ग़म साझा किया हमारे साथ, वो ग़म मैं अपने पाठकों के साथ साझा कर रहा हूँ-

"धूप सी जमी है मेरी साँसों में, कोई चाँद को बुलाये तो रात हों" मुझे नहीं मालूम था कि इतना मजबूर कर देगा मुझे मेरा जीवन कि अपने हाथों से अपने पिता कि चिता को आग दूँगी और अपनी माँ से कहूँगी कि मैं तो जश्न में गयी थी।(जिस दिन पापा हम सब को छोड़ के गए उसी दिन मम्मी को , सात दिन अस्पताल में आई .सी. यूं. चेंबर में रहने के बाद छुट्टी मिली थी, और अब तक वो अपने पूरे होशो हवाश में नहीं हैं वो दिमाग की इक बीमारी से पीड़ित हैं और डॉक्टर ने मना किया है उनको इस घटना के बारे में बताने को )
पिता को खोने का ग़म करूँ या माँ को पाने का अहसास पता नहीं ये कौन सी परीक्षा है मेरी, आज पापा की कमी महसूस होती है जब जेब से पैसे निकल के कॉलेज भाग जाया करती थी, अपने जन्मदिन पर नया लेपटोप की जिद की थी। अपना मनपसंद भोजन बनवाने का मन होता था,पापा के साथ शान से गाड़ी में घूमती थी। और पूछती थी- "ये कौन सी जगह है पापा? " पुराने गाने पापा के साथ गुनगुनाते थे, उनके "कालू" कहने पर रूठ जाया करते थे और मन ही मन हँसते थे। वाकई पिता की याद को भुला पाना पानी में आग जलने का काम है।

11 दिसंबर 2010 मैंने अपने पिता को खो दिया, उनके हाथों का साया मेरे सर से हट गया। पापा की कमी का अंदाजा कोई लगा नहीं सकता, उनका प्यार से कहना "सूतू मेरा" कैसे भूल जाऊँ ? उनकी डांट, उनका प्यार, उंसी हिम्मत, पापा की हर एक बात मुझे अपनी सांस के साथ आती है। 21 वर्ष में अपने पापा को खो दिया मैंने, ऐसा ईश्वर ने मेरे साथ क्यूं किया? इस सवाल का जवाब ढूंढ रही हूँ मैं, मुश्किल है जवाब मिलना पर फिर भी उम्मीद है कि शायद किसी न किसी दिन जवाब मिलेगा।

मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया, हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया, बरबादियों का सोग मानना फिजूल था, बरबादियों का जश्न मनाता चला गया।

- शिखा वर्मा "परी"
( लेखिका इंजीनियरिंग के दूसरे वर्ष में अध्यनरत हैं )

17th dec 2010.

7 comments:

  1. बहुत दुख हुआ शिखा वर्मा जी के पिता जी के बारे पढ कर,लेकिन लेख की पहली लाईने समझ नही आई , मां से झुठ बोलना??? भगवान शिखा जी को हिम्मत दे ओर उन के पिता की आत्मा को शांति दे. धन्यवाद

    ReplyDelete
  2. नयी क़लम परिवार इस दुःख की घडी में आपके साथ है, काश!!!!! उस सवाल का जवाब दिया जा सकता तो मैं आपको दे देता........ उन बड़े सपनों को पूरा करने की जिद ठान लो, जो गाहे-बा-गाहे , बरसों या कुछ दिनों पहले आपके पापा ने आपके लिए देखे थे, भगवान आपको को हिम्मत दे, और आपके पापा के उन ख्वाबों को तामील करे. आपकी मम्मी का साथ इतना लम्बा हों जो कभी ख़त्म ही न हों. आमीन-शुम्मा आमीन

    ReplyDelete
  3. हौसला रखिये शिखा.. ये इम्तिहान ही हैं जो आपको औरों से अलग पहचान देंगे.

    ReplyDelete
  4. सादर श्रद्धांजली .....पिताजी को...
    @शिखा--तुम्हे चुना है ईश्वर ने बहुत कुछ करने को...कभी निराश न होना...उसे तुम पर भरोसा है ..और मुझे भी...मै तुम्हारे साथ हूँ... दिल से...

    ReplyDelete
  5. शीखा जी,
    आपके पितृवियोग पर मेरी तरफ से हार्दिक श्रधांजलि और संवेदना ...
    हिम्मत रखिये ... इस भीषण दुःख की घडी में आपको खुदको और अपनी माताजी को संभालना है ...

    ReplyDelete
  6. बहुत मुश्किल हैं दो शब्द भी कहना। इस समय कुछ भी ,कोई भी बस कह ही सकता है लेकिन सहन करना कितना कठिन है शायद इसका अन्दाज़ा लगाना बहुत मुश्किल काम है भगवान से प्रार्थना है कि आपके माता जी जल्दी स्वस्थ हो कर घर आयें। बस साहस ही इसका हल है। मेरे लायक कोई सेव्क़ा हो तो बताना।

    ReplyDelete
  7. जिस तरह से पैरो तले धरती खिसकती है उसी तरह पिता का इस दुनिया से जाना आभास देता है फिर भी जोये दर्द देता है वाही शक्ति भी देता है |
    ईश्वर तुम्हारे साथ सदैव है और रहेगे |

    ReplyDelete