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Wednesday, August 19, 2009

अगर कुछ शेष होगा तो वो होगा हमारा प्रेम..

जीवन के रंगों और सपनों को एक पन्ने में समेटने की गार्गी जी की एक सफल कोशिश......

वक्त का पहिया चलता जाता
नये - नये ये रूप दिखता
हर पल एक सीख दे जाता
की हमको है बस चलते जाना
बचपन छोड युवा बन जाऊ
चाहत थी कोई अपना पाऊ
मन में उनका अरमान लिये
आंखो में एक सपना लिये
चली जा रही थी कोमल मन अपना लिये
दौडती भागती ज़िन्दगी में
वो मिल गये हमे
आराम की ठंडी सांस की तरह
सांसो से साँसे मिली
और वो दिल के मेहमा हुए
बिना कोई किराया- भाड़ा दिये
कह दिया दिल ने दिल से
सुनो हम तुम्हारे हुए
सपनो में कल तक जो साथ था
अब मेरी उंगली थामे चलने लगा
ऐसा लगा खोया सा कोई
ख्वाब सच होने लगा
वो मुझ में और मैं
उन में खोने लगी
वक्त फिर कुछ और भी महरबा हुआ
और न जाने कब उनका मन मेरा हुआ
आंखो ही आंखो में दुनिया सजी
और दिल एक दूसरे का बसेरा हुआ
चल पड़ी मेरी नैया प्यार की लहर पर
वो इस नैया का खिव्या हुआ
हर दिन मेरा उत्सब और रात मयखाना हुआ
जैसे हर लम्हे पर उनका ही पहरा हुआ
उसके होठो ने मेरे होठो को छू कर कहा
कि उम्र भरके लिये मैं तेरा हुआ
तुझ में खो कर ही तो घर मेरा
फूलो का बगीचा हुआ
जब उसने अपनी अखियाँ खोली
घर मेरा रोशन हुआ
जब गूंजी उसकी किलकारी
तेरा मेरा सपना हमारा हुआ
उसने हंस कर भर दी हमारी झोली
तभी तो हमारा प्यार पूरा हुआ
उसका सपना ही अब हमारा सपना हुआ
देखते ही देखते अपना दुलारा
किसी और का साजना हुआ
हंस - रो कर जी लिया हर पल
प्यार नही , पर अब शरीर बूढ़ा हुआ
पर तेरा प्यार दिन -दिन
और भी गहरा हुआ
जब छोटू का छोटू
चश्मे से तेरे खेला किया
फिर मेरा हास के कहना
अब तो तू बूढा हुआ
आँख भर आई मेरे
जब मेरा पल्लु पकड़ भर
तेरा यू कहना हुआ
खुशी है की तेरे साथ में बूढा हुआ
हम हमेशा साथ होंगे मेरा फिर कहना हुआ
और फैल गया हमारा प्यार
एक अविरल धार-सा हर तरफ
वक्त की आँधी चली और तुफा आ गया
तेरे कंधे पर साज कर
ये तन मेरा इस दुनिया से रुख्सत हुआ
और इस मिट्टी का मिट्टी में ही मिलना हुआ
जब तू रोया फूट कर तो आत्मा चिल्ला उठी
मैं दूर नही हूँ तुमसे
मिट्टी थी मिट्टी में मिल गई
पर मन और आत्मा का तुम से ही संगम हुआ
और जब तुम अकेला होते हो उस आराम कुर्सी पर
मैं देखती हूँ तुम्हे, और तुम भी तो महसूस करते हो
जब ढूंढते हो खुद में ही
और दीवारो से मेरे बातैं करते हो
तो ये पीड़ा मुझ से सही नही जाती
तुम से मिलने को तड़प उठती है मेरे रुह
तब में खुद से वादा करती हूँ
हर जन्म तेरे ही पत्नी बनने का इरादा रखती हूँ
जब मिलैगे साँवरे के द्वार पर हम
तब रुह की रुह से मुलाकात होगी
और हमारे लौकिक नही अलोकिक प्रेम की शुरुआत होगी
और वहाँ मृत्यु का बंधन नही होगा
वहा अमित अमर प्रेम होगा .....
बस प्रेम....हमारा प्रेम
और ये वक्त जिसने हमे मिलाया
हमे दूर करने में लाचार होगा
अगर कुछ शेष होगा तो वो होगा हमारा प्रेम

गार्गी गुप्ता

Thursday, June 4, 2009

दर्द से हाथ न मिलाते तो क्या करते



दर्द से हाथ न मिलाते तो क्या करते,

गम के आँसू न बहाते तो क्या करते,

किसी ने माँगी थी हमसे रोशनी,

हम खुद को न जलाते तो क्या करते ? ?


मेरे दिल के ज़ख्म अब आह नही भरते,

क्योंकि वो अब इस दिल में रहा नही करते,

हमने आँसू से उनको विदाई दी है

इन आँखों में अब अश्क रहा नही करते! ! !


तुझे आँसू भरी वो दुआ मिले

जिसे कभी न इन्कार ख़ुदा करे,

तुझे हसरत न रहे कभी जन्नत की

तेरे आंगन में मोहब्बतों की ऐसी हवा चले…


चले गये हो दूर कुछ पल के लिये,

दूर रहकर भी करीब हो हर पल के लिये,

कैसे याद न आए आपकी एक पल के लिये,

जब दिल में हो आप हर पल के लिये…

- गार्गी गुप्ता

Monday, May 4, 2009

इसी को कहते हैं


तेरे जाने पे जान पाये , कि विश्वासघात किसे कहते हैं।
बस ता- उम्र यही सोचेंगे, कि प्यार किसे कहते हैं॥

तुम से मिल कर ही समझ पाये, कि धोखा किसे कहते हैं।
हर घड़ी है सवालों की कशमकश, कि तुम्हारी इस अदा को क्या कहते है।।

रोते-हँसते कट जायेगी ज़िन्दगी, पर हर साँस के साथ बेवफा तुम्हें कहते हैं।
कभी तो सोना है उम्रभर के लिए, पर जाग के हर एक पल मरना मुझे कहते हैं॥

हर दम दे जाता है नया गम, क्या सच में प्यार इसी को कहते हैं।
जब भी चाही खुशी रुस्बाई मिली, क्या किस्मत इसी को कहते हैं॥

इसे क्या कहते हैं....
-गार्गी गुप्ता

Wednesday, April 8, 2009

सर को झुकाए बैठे है

मुहब्बत है अजीब, आंखो में आँसू सजाये बैठे हैं
देवता नही है, फिर भी हम सपनो का मंदिर सजाये बैठे

किस्मत की बात है, दुनिया से को खुद छुपाये बैठे है
कैसे बयां करें , उन पर हम अपना सब कुछ लुटाये बैठे है

खामोश दीवारों के वीराने को हाले दिल सुनाये बैठे हैं
वो दूर है तो क्या, उनका दिल दिल से लगाये बैठे है

वो लौट कर न आयेगे, फिर भी नज़रे बिछाये बैठे है
उनसे मिलने की ललक में, सब कुछ भुलाये बैठे हैं

आँखों से आँसू इतने गिरे , की समन्दर बनाये बैठे है
वो बेरहम , और उनके सजदे में सर को झुकाये बैठे है

- गार्गी गुप्ता