Saturday, April 4, 2009

अभी जिंदा है

उसकी बोझिल सासों में ,प्यार अभी जिंदा है ।
वो मेरी यादों में सही , मगर अभी ज़िन्दा हैं ॥

बच्चे उसके सो गए , सो गई हैं ख्वाहिशें ।
उस दरवाज़े पर पड़ी , नज़र अभी ज़िन्दा हैं ॥

मैकदे आज बंद हैं , और बंद हैं तीमारदार ।
रिंद अभी ज़िन्दा हैं , बीमार अभी ज़िन्दा हैं॥

दफन हो के भी तड़पता, क्यूँ रहा हूँ मैं यहाँ ?
उस दवा का लगता है, असर अभी ज़िन्दा है ॥

तुम देके भूल गई ,मैंने तो वापिस करना है ।
तुम्हारा दिल , तुम्हारी यादें , उधार अभी ज़िन्दा है ॥

तेरे आने की कभी, आई थी हमको जो ख़बर ।
दूर होती आहटों की, ख़बर अभी ज़िन्दा है ॥

शर्म आई ,बेवफाई , तूने परदा कर लिया ।
तीर ऐ नज़र, होश ऐ असर, जिगर अभी ज़िन्दा है ॥

इश्क हैं तो कायनात , मैं हूँ तो कुछ नहीं।
मैं गया तो क्या गया , हज़ार अभी ज़िन्दा हैं॥

बदल गई हो तुम तो क्या, आँखें नही बदली मगर ।
और इन बेफिक्रिओं की , फिकर अभी ज़िन्दा है ॥

- दर्पण साह "दर्शन"

4 comments:

  1. अच्छे शब्दों का चुनाव किया गया,एक अच्छी रचना पाठकों के बीच में
    सबसे खास अंदाज रवानी है रचना में.

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  2. बहुत अच्छी रचना... तो दर्पण जी आप यहां भी लिखते हैं.. भई वाह..

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  3. ek aur lajawab rachna, badhai darpan ji.

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  4. तुम देके भूल गई ,मैंने तो वापिस करना है ।
    तुम्हारा दिल, तुम्हारी यादें , उधार अभी ज़िन्दा है ॥

    आपकी कलम में जादू है खूब बढ़िया लिख लेते हैं
    पर टिपण्णी देवे में माहिर हैं सरकार अभी हम जिंदा हैं

    बहुत बढ़िया लिखते हो बचवा ...

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