Monday, May 4, 2009

इसी को कहते हैं


तेरे जाने पे जान पाये , कि विश्वासघात किसे कहते हैं।
बस ता- उम्र यही सोचेंगे, कि प्यार किसे कहते हैं॥

तुम से मिल कर ही समझ पाये, कि धोखा किसे कहते हैं।
हर घड़ी है सवालों की कशमकश, कि तुम्हारी इस अदा को क्या कहते है।।

रोते-हँसते कट जायेगी ज़िन्दगी, पर हर साँस के साथ बेवफा तुम्हें कहते हैं।
कभी तो सोना है उम्रभर के लिए, पर जाग के हर एक पल मरना मुझे कहते हैं॥

हर दम दे जाता है नया गम, क्या सच में प्यार इसी को कहते हैं।
जब भी चाही खुशी रुस्बाई मिली, क्या किस्मत इसी को कहते हैं॥

इसे क्या कहते हैं....
-गार्गी गुप्ता

1 comment:

  1. is bar aap ne meri rachna ke saath mera naam nahi diya .

    par aap ko meri rachna pasand aai is liye dhanyabad

    gargi
    www.feelings44ever.blogspot.com

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