हाँ वो लाचार वक़्त हूँ मैं
छटपटाता हुआ बदहवास सा
ठहरा हूँ मै तब से
दो दिलो के वादों का
साक्ष्य बना था जब से
व्याकुल हो विरह में
अश्कों डुबे सिसकते
एक दिल न कहा था
" जब अंत समय आये और
ये सांसे बोझ बन जाये
एक बार मुझसे कह देना
मै भी साथ चलूँगा ..."
उस रिश्ते पर मेरा ही
उस रिश्ते पर मेरा ही
कफ़न पड़ गया शायद
अब मै गुजर जाना चाहता हूँ
मुक्त हो जाना चाहता हूँ
साक्ष्य के उस बोझ से
साक्ष्य के उस बोझ से
काश मेरे सीने से कोई
उस लम्हे के अंश को
चीर के जुदा कर दे
हाँ वही लाचार वक़्त हूँ मै .....
- सीमा गुप्ता
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