ज़रा सी देर में दिलकश नजारा डूब जायेगा
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा
नजाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा
समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलू बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा
-जतिन्दर परवाज़
चित्रांकन- दीपक 'मशाल'
बाबू जी, कृपया टिप्पणी दे दीजिये...
ये सूरज देखना सारे का सारा डूब जायेगा
नजाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
सफ़ीना हो के हो पत्थर हैं हम अंजाम से वाक़िफ़
तुम्हारा तैर जायेगा हमारा डूब जायेगा
समन्दर के सफ़र में क़िस्मतें पहलू बदलती हैं
अगर तिनके का होगा तो सहारा डूब जायेगा
मिसालें दे रहे थे लोग जिसकी कल तलक हमको
किसे मालूम था वो भी सितारा डूब जायेगा
-जतिन्दर परवाज़
चित्रांकन- दीपक 'मशाल'
बाबू जी, कृपया टिप्पणी दे दीजिये...
वाह बहुत खुब। लाजवाब रचना। बधाई
ReplyDeleteजतिन्दर परवाज़ साहब की रचना पढ़कर आनन्द आ गया.
ReplyDeleteबहुत खूब ....हर लफ्ज़ बेहतरीन
ReplyDeleteनजाने फिर भी क्यों साहिल पे तेरा नाम लिखते हैं
हमें मालूम है इक दिन किनारा डूब जायेगा
हमारी तरफ बधाई स्वीकारें ....