औरत की क्या हस्ती है
चीज़ वो कितनी सस्ती है
कहीं वो दिल की रानी है
कहीं बस एक कहानी है
कितनी बेबस दिखती है
जब बाज़ार में बिकती है
कहीं वो दुर्गा माता है
इस संसार की दाता है
कहीं वो घर की दासी है
नदिया हो कर प्यासी है
सब के ताने सहती है
फिर भी वो चुप रहती है
सरस्वती का अवतार है वो
शिक्षा का भंडार है वो
किस्मत उसपे हंसती है
जब शिक्षा को तरसती है
क्या क्या ज़ुल्म वो सहती है
फिर भी हंसती रहती है
कहीं सजा यह पाती है
गर्भ में मारी जाती है
कहीं वो माता काली है
कहीं वो एक सवाली है
खाली हाथों आने पर
दान-दहेज़ ना लाने पर
ज़ुल्म ये ढाया जाता है
उसको जलाया जाता है
नीर नयन से बरसे हैं
वो मुस्कान को तरसे है
खुशियों को तरसती है
औरत की क्या हस्ती है॥
-- नीरा राजपाल
महत्वपूर्ण सूचना- इस मंच पर आने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया, बस जाने से पहले एक गुजारिश है साहब की- 'कुछ तो कहते जाइये जो याद आप हमको भी रहें, अच्छा नहीं तो बुरा सही पर कुछ तो लिखते जाइये। (टिप्पणी)
चीज़ वो कितनी सस्ती है
कहीं वो दिल की रानी है
कहीं बस एक कहानी है
कितनी बेबस दिखती है
जब बाज़ार में बिकती है
कहीं वो दुर्गा माता है
इस संसार की दाता है
कहीं वो घर की दासी है
नदिया हो कर प्यासी है
सब के ताने सहती है
फिर भी वो चुप रहती है
सरस्वती का अवतार है वो
शिक्षा का भंडार है वो
किस्मत उसपे हंसती है
जब शिक्षा को तरसती है
क्या क्या ज़ुल्म वो सहती है
फिर भी हंसती रहती है
कहीं सजा यह पाती है
गर्भ में मारी जाती है
कहीं वो माता काली है
कहीं वो एक सवाली है
खाली हाथों आने पर
दान-दहेज़ ना लाने पर
ज़ुल्म ये ढाया जाता है
उसको जलाया जाता है
नीर नयन से बरसे हैं
वो मुस्कान को तरसे है
खुशियों को तरसती है
औरत की क्या हस्ती है॥
-- नीरा राजपाल
पूरी रचना ही लाजवाब है
ReplyDeleteकहीं वो दुर्गा माता है
इस संसार की दाता है
कहीं वो घर की दासी है
नदिया हो कर प्यासी है
सच कहा है औरत की हालत अभी भी नहीं बदली बहुत बहुत शुभकामनायें अब कलम उभर चुकी है
निर्मला जी, बस आपके आशीर्वाद की आवश्यकता थी वो भी पूरी हो गयी.
ReplyDeleteस्त्री के अलग अलग मोर्चों पर किये जा रहे संघर्ष को बयान करती कविता ...
ReplyDeleteबेहतर भावाभिव्यक्ति ..!!
ज़ुल्म ये ढाया जाता है
ReplyDeleteउसको जलाया जाता है
बहुत खूब ...
अति संवेदनशील ..वाह कहने का वक़्त ही नहीं मिलेगा ......गौर से पढिये तो सोचना शुरू कर देंगे
बहुत सुन्दर रचना बधाई हो ....
ये मेरी तरफ से एहतराम भरे लफ्ज़ जो मेरे दिल से बहार आने को बेताब है...
दिल की नमी आँखों का पानी है औरत
हर खुबसूरत घर की निशानी है औरत
"नज़र"
बहुत अच्छा लिखा है अपने...नारी के जीवन का सजीव चित्रण...
ReplyDeleteलेखन के लिए शुभकामनाये..
हिमांशु डबराल
www.bebakbol.blogspot.com
naari ki mahaan`taa ko darshaati hui
ReplyDeleteaur naari ki upekshaa ko bhi bayaan karti hui
kamyaab aur lagbhag sampoorn rachnaa
---MUFLIS---
ahsaas ki satah ko amal tak pahuncna zaroori hai. Kya achha ho ki mardon me is masle par ghaur-o-fikr shuru ho! Is nek kaam ko jari rakhiyega!
ReplyDeleteSheeba Aslam Fehmi
behatreen. gujarish hai likhte rahein. ye aag door talak ley jayegi......
ReplyDeleteKAVITA BHAWANTMAK HAI.NAARI KE JIWAN KE VIRODHABHASO KO ITNI KHUBSURTI SE SABDO KI MALA MEIN PIROYA GAYA HAI KI WO EK KATAKSH BAN JATI HAI.APKE SAHAS KI SRAHNA KARNA CHAUNGA.MAA SARASWATI APKI LEKHNI LO DHAR PRADAN KARE.AMIT KUMAR
ReplyDeleteaap sab ki aabhari hoon aapne itne ache shandon se saraya meri is rachna ko, aage bhi saath dete rahiyega itni guzarish karti hoon.
ReplyDeletenira rajpal
बहुत लाज़वाब .....कसम से
ReplyDeleteऔरत की क्या हस्ती है
सारी जिंदगी बयाँ कर दी आपने इस कविता के ज़रिये
बहुत सुन्दर .....ऐसे ही लिखते रहें
आपने लिखा...
ReplyDeleteकुछ लोगों ने ही पढ़ा...
हम चाहते हैं कि इसे सभी पढ़ें...
इस लिये आप की ये खूबसूरत रचना दिनांक 22/03/2016 को पांच लिंकों का आनंद के
अंक 249 पर लिंक की गयी है.... आप भी आयेगा.... प्रस्तुति पर टिप्पणियों का इंतजार रहेगा।