आज आपको साहित्य के दिग्गज और सम्पद्किये पेज पर अक्सर अपने का दर्ज करने वाले कवी से रूबरू करा रहा हूँ। उनकी ये वो रचना है जो उन्होंने अपने शुरूआती दिनों में लिखी। पेशे नज़र है-
मैं लड़ा बहुत इस दुनिया से
सह गया बहुत कडवे ठोकर
तुम साथ रहे , मैं जीत गया
पर हार गया तुमको खोकर।
- सुनील अमर
मैं लड़ा बहुत इस दुनिया से
सह गया बहुत कडवे ठोकर
तुम साथ रहे , मैं जीत गया
पर हार गया तुमको खोकर।
- सुनील अमर
पर हार गया तुमको खोकर।
ReplyDeletebahut achi kavita he bhai saheb
http://kavyawani.blogspot.com
shekhar kumawat
choti si kavita me kitani gahari baat kah di
ReplyDeleteएक सादा दिल की, एक सादी सी बात !
ReplyDeleteaah kitni dardeeli rachna!!
ReplyDeletepasand karne wale sabhi doston ko shukriya! -- Sunil Amar 09235728753
ReplyDeletevery said mumant
ReplyDeletevery said mumant
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