Monday, August 17, 2009

नया नहीं बन पाया तो...

नया नहीं बन पाया तो सम्बन्ध पुराना बना रहे,
आखिर जीने की खातिर कोई बहाना बना रहे,
सच कहती हूँ कभी नहीं मैं तुमसे कुछ भी चाहूँगी,
बस बेगानी बस्ती में इक ठौर ठिकाना बना रहे.
सहन कभी क्या कर पायेगी मेरे दिल की आहट यह,
तुम बेगाने हो जाओ, गुलशन गुलज़ार ये बना रहे.
सुबह देर से आँखें खोलीं मैंने केवल इसीलिए,
बहुत देर तक इन आँखों में, इक ख्वाब सुहाना बना रहे.

'बीती ख़ुशी'

3 comments:

  1. मुआफ़ कीजियेगा आपको संबोधित करने में थोडी परेशानी हो रही है

    अच्छी रचना , बेहतर प्रस्तुति, शबनमी जज़्बात, उम्दा कोशिश , गागर में सागर लेकिन....
    बहर की थोडी सी कमी .....
    इतना चलता है ......
    खुबसूरत प्रयास
    बधाई हो

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  2. khoobsurat rachna, सुबह देर से आँखें खोलीं मैंने केवल इसीलिए,
    बहुत देर तक इन आँखों में, इक ख्वाब सुहाना बना रहे.

    panktian pasand aain, badhaai.

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  3. अनमोल संचयन निकलवाने की तैयारी में हूँ, शामिल होना है...?

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