Saturday, May 8, 2010

वही मौसम - वही मंज़र


कभी इकरार चुटकी में, कभी इंकार चुटकी में,
मरासिम का किया कुछ इस तरह इज़हार चुटकी में।

वही मौसम, वही मंज़र,वही मैकश, वही साकी,
हुई है आज फिर मेरी, कसम बेकार चुटकी मे।

कभी वो प्याज़ के आंसू, कहीं पे अल्पमत होना,
बदलती है हमारे देश की सरकार चुटकी मे।

मेरा ये देश 'वन्दे मातरम्' के गीत से जागा,
उठा गांडीव झटके से, उठी तलवार चुटकी में।

लिखा है बारसा मैंने, हमेशा हाय बेजा ही ,
मिला जो साथ तेरा गए अशआर चुटकी में।

बहुत सी लज्ज़तें ऐसी, भुलाई जो नहीं जाती,
उतर जाती, खुमारे मय, खुमारे या चुटकी में।

तेरी इस रुह की ये आग, सदियों नहीं बुझती,
लगी है जुस्तज़ू--लौ मगर, हर ार चुटकी में।

मुझे जो आरज़ू है मौत की, ता-ज़िन्दगी सी है,
मगर ये मौत देती है मुझे दीदार चुटकी में।

कहाँ है, कोई भी इस शहर में, अंजान सी बातें ?
बिके हैं रोज़ ही सारे, यहाँ अखबार चुटकी मे।

हवाएं बादबानी के रुखों को मोड़ देती हैं,
हुये हैं तैरकर दरिया, हमेशा पार चुटकी में।

लगे है सरहदें 'दर्शन', घरों के बीच की दूरी,
मिला तू हाथ हाथों से, गिरा दीवार चुटकी मे।
-दर्पण साह 'दर्शन '


1 comment:

  1. Darshan bhai ko padhna hamesha sukhad rahta hai..
    Darshan, Apoorv, Gautam Rajrishi, Anuraag, Kishor Chaudhry, Dileep, Sharad Kokas Bhaia, Nirmala Kapila maasi, Rashmi Ravija di, Ada di etc. ye kuchh aise naam hain jo blogjagat ke sachche ubharte sahityakaar lagte hain..
    punah padhkar achchha laga chutki baja ke :)

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