Monday, November 29, 2010

उल्‍टे अक्षरों से लिख दी भागवत गीता




मिरर इमेज शैली में कई किताब लिख चुके हैं पीयूष :
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्‍क रह जायेंगे. आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है. पर आप ज्‍यों ही शीशे के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी. सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे. इस मिरर इमेज किताब को दादरी में रहने वाले पीयूष ने लिखा है. इस तरह के अनोखे लेखन में माहिर पीयूष की यह कला एशिया बुक ऑफ वर्ल्‍ड रिकार्ड में भी दर्ज है. मिलनसार पीयूष मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं.
उनकी पहली किताब भागवद गीता थी. जिसके सभी अठारह अध्‍यायों को इन्‍होंने मिरर इमेज शैली में लिखा. इसके अलावा दुर्गा सप्‍त, सती छंद भी मिरर इमेज हिन्‍दी और अंग्रेजी में लिखा है. सुंदरकांड भी अवधी भाषा शैली में लिखा है. संस्‍कृत में भी आरती संग्रह लिखा है. मिरर इमेज शैली में हिन्‍दी-अंग्रेजी और संस्‍कृत सभी पर पीयूष की बराबर पकड़ है. 10 फरवरी 1967 में जन्‍में पीयूष बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं।


डिप्‍लोमा इंजीनियर पीयूष को गणित में भी महारत हासिल है. इन्‍होंने बीज गणित को बेस बनाकर एक किताब 'गणित एक अध्‍ययन' भी लिखी है. जिसमें उन्‍होंने पास्‍कल समीकरण पर एक नया समीकरण पेश किया है. पीयूष बतातें हैं कि पास्‍कल एक अनोखा तथा संपूर्ण त्रिभुज है. इसके अलावा एपी अधिकार एगंल और कई तरह के प्रमेय शामिल हैं. पीयूष कार्टूनिस्‍ट भी हैं. उन्‍हें कार्टून बनाने का भी बहुत शौक है।
09654271007

Sunday, November 14, 2010

शायराना क़ज़ा


एक लम्बे अरसे के बाद आप सुधि पाठकों से मुखातिब हों रहा हूँवक़्त भी क्या चीज है, पंख लगा के दौड़ती चली जाती है, और हम पकड़ने की नाकाम कोशिश करते रहते हैंखैर! आज आपको "नई -कलम"के मंच पर एक और उभरते हस्ताक्षर से रूबरू करा रहा हूँपेशे से सोफ्टवेयर मैं कार्यरत "ऐश्वर्य" साहब से मुखातिब करा रहा हूँऔर उनकी नज़्म का आप लोग लुत्फ़ उठायें, आप सब से एक गुजारिश जरुर करूँगा, अपनी प्रतिक्रियाएं जरुर जाहिर करेंताकि कवि की हौसला अफजाई हों और साहित्य को और अच्छा साहित्य हासिल हों सके, नज़्म आपके सुपुर्द कर रहा हूँ-

मैं तुम्हें भूल गया हूँ
या
यूँ कहूँ कि तुम्हें याद ही नहीं करता
जाने क्यूँ दिल ही नहीं करता
तुमने भी कोशिश की होगी भूल जाने की मुझे,
याद
आने की मुझे तुम्हारी कोशिश साकार कर रहा हूँ
तुम्हें
भूल कर, तुम्हें प्यार कर रहा हूँ
अब तो रातों में बेचैनी नहीं होती दिन में ख्याल आता है
जिसे याद कर कोई नज़्म लिखूं
कोई शेर बने , कोई ग़ज़ल कहूँ
तुम भी तो रातों में तड़पे होगे
किसी
यतीम मंजिल पे पड़े होगे

जहाँ मैं बस्ता हूँगा, ख्याल बनके तुम बहते होगे हवाओं से
और
हमारे बेनाम मरासिम को ये काफ़िर दुनिया शायराना फिजा कहेगी
अब
तो उम्र भी गुजर गयी, रोज की आदतों की तरह
फिर एक दिन गुजर गया, रोज के रास्तों की तरह

तुम्हें भी याद किया, खुद की साँसों की तरह
फिर
भी जिंदा हूँ, रहता हूँ इस कायनात में
ये तुम्हारी ही तो दुआ थी, जिसने जिंदा रखा मुझे
ये
तुम्हारी ही तो जुदाई थी,
जिसने
बरसों पहले इस रूह को शायराना क़ज़ा दी थी!!!!

- ऐश्वर्य