आज एक और कलम की इबारत आपके हाथों में सौंप रहा हूँ. कौशल किशोर जो की एक इंजीनियरिंग कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. उनकी लिखी एक नज़्म कुछ यूँ हैं -
- कौशल किशोर, कानपुर
( शाहिद एक अरबी लफ्ज़ है जिसका मायने गवाह है )
मत उठा मेरे प्यार पे ऊँगली ऐ शाहिद
मत करो दूर दो रूंहों को अलग ऐ शाहिद
हम भी अल्लाह के बन्दे हैं कुछ तो डर ऐ शाहिद
कहीं ऐसा न हो कि, तू भी कल प्यार में हो
और बन जाऊं मैं शाहिद
( शाहिद एक अरबी लफ्ज़ है जिसका मायने गवाह है )
बहुत खूब शुभकामनायें स्वीकार करें
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद सर आपको.
ReplyDeletebhaut khub...
ReplyDeleteएक उम्दा प्रस्तुति!!
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