अब न जिद यूँ करो ज़िन्दगी
कुछ मेरी भी सुनो ज़िन्दगी
मैं अकेला शराबी नहीं
लड़खड़ा के चलो ज़िन्दगी
मुफलिसों का खुदा है अगर
मुफलिसी में रहो ज़िन्दगी
बात तेरी सुनूंगा नहीं
बात फिर भी कहो ज़िन्दगी
फिर कहाँ है तेरी वो तपिश
अब तलक जिंदा देखो ज़िन्दगी
मौत "दर्शन" डराती नहीं
तुम अगर साथ दो ज़िन्दगी
- दर्पण साह "दर्शन"
कुछ मेरी भी सुनो ज़िन्दगी
मैं अकेला शराबी नहीं
लड़खड़ा के चलो ज़िन्दगी
मुफलिसों का खुदा है अगर
मुफलिसी में रहो ज़िन्दगी
बात तेरी सुनूंगा नहीं
बात फिर भी कहो ज़िन्दगी
फिर कहाँ है तेरी वो तपिश
अब तलक जिंदा देखो ज़िन्दगी
मौत "दर्शन" डराती नहीं
तुम अगर साथ दो ज़िन्दगी
- दर्पण साह "दर्शन"
बात तेरी सुनूंगा नहीं
ReplyDeleteबात फिर भी कहो ज़िन्दगी
-क्या अंदाज है...बहुत खूब!! बहुत बेहतरीन!!
मैं अकेला शराबी नहीं
ReplyDeleteलड़खड़ा के चलो ज़िन्दगी
मुफलिसों का खुदा है अगर
मुफलिसी में रहो ज़िन्दग वाह वाह क्या बात है
बात तेरी सुनूंगा नहीं
बात फिर भी कहो ज़िन्दगी
ये बेटा अच्छी बात नहीं किसी दिन ज़िन्दगी कहना छोड देगी बस। बहुत अच्छी गज़ल है बधाई
बात तेरी सुनूंगा नहीं
ReplyDeleteबात फिर भी कहो ज़िन्दगी
vah kya bat kahi hai
mere ghar ana jindgi