Tuesday, January 12, 2010

तुम अगर साथ दो

अब न जिद यूँ करो ज़िन्दगी
कुछ मेरी भी सुनो ज़िन्दगी

मैं अकेला शराबी नहीं
लड़खड़ा के चलो ज़िन्दगी

मुफलिसों का खुदा है अगर
मुफलिसी में रहो ज़िन्दगी

बात तेरी सुनूंगा नहीं
बात फिर भी कहो ज़िन्दगी

फिर कहाँ है तेरी वो तपिश
अब तलक जिंदा देखो ज़िन्दगी

मौत "दर्शन" डराती नहीं
तुम अगर साथ दो ज़िन्दगी

- दर्पण साह "दर्शन"

3 comments:

  1. बात तेरी सुनूंगा नहीं
    बात फिर भी कहो ज़िन्दगी

    -क्या अंदाज है...बहुत खूब!! बहुत बेहतरीन!!

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  2. मैं अकेला शराबी नहीं
    लड़खड़ा के चलो ज़िन्दगी

    मुफलिसों का खुदा है अगर
    मुफलिसी में रहो ज़िन्दग वाह वाह क्या बात है
    बात तेरी सुनूंगा नहीं
    बात फिर भी कहो ज़िन्दगी
    ये बेटा अच्छी बात नहीं किसी दिन ज़िन्दगी कहना छोड देगी बस। बहुत अच्छी गज़ल है बधाई

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  3. बात तेरी सुनूंगा नहीं
    बात फिर भी कहो ज़िन्दगी
    vah kya bat kahi hai
    mere ghar ana jindgi

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