कहते हैं कि एक शायर किसी एक के लिए लिखना शुरू करता है। और वक़्त के साथ , संग अपने पूरी दुनिया को शरीक कर लेता है , आज एक शुरूआती दौर कि कवियत्री से रूबरू करा रहा हूँ।
तुम कुछ इस तरह से मेरी ज़िन्दगी में आये
कि हर शाम इक सुबह लगती है
हर आग शमा लगती है
मेरी दुनिया में कुछ यूँ छाये
कि ज़िन्दगी तेरे ही नाम कि लगती है
बस अब मत जाना यहाँ से
क्योंकि
मेरी हर रात तेरी आहट से कटती है...
- शिखा वर्मा "परी"
swagat hai aapka is naye pariwar men , hamesha ki tarah ek kavi ki shuruaat .... inhin lafzon se milti julti hoti hai..
ReplyDeletemubarak ho.
shaahid "ajnabi"
shuruaat achchi hai , likhate rahiye
ReplyDeleteAchchha hai.. likhti rahiye qalam ki talwaar ki dhar tez hogi
ReplyDeleteमेरी दुनिया में कुछ यूँ छाये
ReplyDeleteकि ज़िन्दगी तेरे ही नाम कि लगती है
waqay me bahut sundar
shekhar kumawat
http://kavyawani.blogspot.com/
सुन्दर परिचय और खूबसूरत रचना..बधाई.
ReplyDelete_________________________
'पाखी की दुनिया' में जरुर देखें-'पाखी की हैवलॉक द्वीप यात्रा' और हाँ आपके कमेंट के बिना तो मेरी यात्रा अधूरी ही कही जाएगी !!