माँ मेरी बहुत प्यारी है
मुझे डांटती है, मुझे मारती है
फिर मुझे खींच के
सीने से लिपटा लेती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
चौका बासन भी करती है
घर का सारा काम वो करती है
ग़म मेरे होते हैं ,और उठा वो लेती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
देर रात मैं खाने को कुछ कह दूं
मेरे ऊपर चिल्लाती रहती है
मगर ख्वाहिश फिर भी पूरा करती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
चलो आज बैठक धो दूं
चलो आज आँगन धो दूं
कुछ नहीं, तो कोई काम निकाला करती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
जब भी घर से आऊँ
बस यही कहा करती है
बेटा घर खाली हो गया
अब कब आओगे
माँ मेरी बहुत प्यारी है
उसकी उँगलियों में न जाने कौन सा जादू है
हाथ मेरे सर पे रखती है
और खुद अपनी आँखों को भिगो देती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
- शाहिद अजनबी कानपुर
मुझे डांटती है, मुझे मारती है
फिर मुझे खींच के
सीने से लिपटा लेती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
चौका बासन भी करती है
घर का सारा काम वो करती है
ग़म मेरे होते हैं ,और उठा वो लेती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
देर रात मैं खाने को कुछ कह दूं
मेरे ऊपर चिल्लाती रहती है
मगर ख्वाहिश फिर भी पूरा करती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
चलो आज बैठक धो दूं
चलो आज आँगन धो दूं
कुछ नहीं, तो कोई काम निकाला करती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
जब भी घर से आऊँ
बस यही कहा करती है
बेटा घर खाली हो गया
अब कब आओगे
माँ मेरी बहुत प्यारी है
उसकी उँगलियों में न जाने कौन सा जादू है
हाथ मेरे सर पे रखती है
और खुद अपनी आँखों को भिगो देती है
माँ मेरी बहुत प्यारी है
- शाहिद अजनबी कानपुर
आपकी इस रचना ने दिल को छूकर आँखे नम कर दी हैं बहुत सुन्दर इस अनुपम कृति के लिए बधाई
ReplyDeleteआपकी पोस्ट कल 12/7/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा - 938 :चर्चाकार-दिलबाग विर्क
maan tujhe salam ........
ReplyDeleteमर्म्श्पर्शी !!
ReplyDeleteनई कलम - उभरते हस्ताक्षर
ReplyDeleteमाँ मेरी बहुत प्यारी है
बहुत बढ़िया ढंग से माँ को नमन -
किया
साधुवाद ।।
लेकिन उस आधुनिकता का क्या , जो इसको ही बोझा समझे ।
एकाकी काकी न बनती, माँ की झंझट में क्या उलझे?
स्वार्थ पूरिता सुख अपना ही, जब जीवन का बने उसूल -
कैसे उस जीवन की मुश्किल, कठिन समय पर भ्राता सुलझे ।
माँ की दुआ से बढ़कर कोई दुआ नही
ReplyDeleteमाँ जैसा पवित्र रिश्ता कोई दूसरा नही,,,,,,
मंसूरी जी,,,फालोवर बन गया हूँ आप भी बने मुझे खुशी होगी,,,,,,
RECENT POST...: राजनीति,तेरे रूप अनेक,...
एक मां ही तो ऐसी होती है ... उसके जैसा कोई दूसरा नहीं होता ..
ReplyDeleteदिल कों छूती है रचना ... माँ तो होती ही ऐसी है ...
ReplyDeleteमाँ सबको प्यारी लगे, ममता का पर्याय।
ReplyDeleteमां के आदर-मान से, सब सम्भव हो जाय।।
माँ तो माँ ही होती है उसके लिए जितना कहा जाए या लिखा जाए कम ही है |
ReplyDeleteआशा