Saturday, July 4, 2015

जुलाई अंक- नई क़लम- उभरते हस्ताक्षर

शुक्रिया लेखक मित्रो, अग्रज लेखकगण , बहुत जल्दी में इस अंक को निकाला है. आप सब की मेहनत की वजह से जुलाई अंक आपकी आँखों के सामने है. आपकी अपेक्षाओं पे कितना खरा उतरा ...ये आने वाला वक़्त बताएगा...आप इस लिंक पे जा के Downlod कर सकते हैं. आप चाहें तो Newshunt App से भी पढ़ सकते हैं.

वक़्त भी क्या अजीब शै है, कितने जल्दी बिना पंखों के उड़ता चला जाता है और हम मुट्ठी में रेत की मानिन्द बाँधने की कोशिश ही करते रहते हैं. साल-दर-साल गुजरते चले जाते हैं. लेकिन इस दौड़ते वक़्त के साथ जो साथ-साथ चलता है, वो आपके अहसास , जो बाद में सुखन कहलाता है. चलता चला जाता है और क़लम अपना सफ़र तय करती चली जाती है . क़लम धीमी जरूर होती है . लेकिन थमती नहीं है , रूकती नहीं है , अनवरत चलती रहती है. सच तो ये है क़लम , सुकून जो देती है न ..
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जुलाई अंक- नई क़लम- उभरते हस्ताक्षर

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