वो कितनी प्यारी प्यारी थी
कुछ खुशबू सौंधी सौंधी थी
कुछ हिना के जैसी सुन्दर थी
कुछ गुलशन जैसी महकी थी
कुछ समीर सी चंचल थी
कुछ माखन सी तासीर भी थी
वो कितनी प्यारी प्यारी थी
एक दिल था भोला भाला सा
जिसमे कितनी गहराई थी
नैना थे बिलकुल हिरनी से
दुनिया की जिनमे परछाईं थी
सीरत तो बिलकुल ऐसी कि
जैसे खुदा से शोहरत पायी थी
वो कितनी प्यारी प्यारी थी.
जब मुझे देखती थी वो तब
सारी खुशियाँ मिल जाती थी
सोंचा इक दिन मैंने कि
बस उसकी तस्वीर बना डालूँ
पर बन कर जब तैयार हुई
तो अपनी ही बेटी पाई थी.
अब इतना ही बस कहना है
वो कितनी प्यारी प्यारी है.
वो सबसे प्यारी प्यारी है.
- कौशल किशोर, कानपुरकुछ खुशबू सौंधी सौंधी थी
कुछ हिना के जैसी सुन्दर थी
कुछ गुलशन जैसी महकी थी
कुछ समीर सी चंचल थी
कुछ माखन सी तासीर भी थी
वो कितनी प्यारी प्यारी थी
एक दिल था भोला भाला सा
जिसमे कितनी गहराई थी
नैना थे बिलकुल हिरनी से
दुनिया की जिनमे परछाईं थी
सीरत तो बिलकुल ऐसी कि
जैसे खुदा से शोहरत पायी थी
वो कितनी प्यारी प्यारी थी.
जब मुझे देखती थी वो तब
सारी खुशियाँ मिल जाती थी
सोंचा इक दिन मैंने कि
बस उसकी तस्वीर बना डालूँ
पर बन कर जब तैयार हुई
तो अपनी ही बेटी पाई थी.
अब इतना ही बस कहना है
वो कितनी प्यारी प्यारी है.
वो सबसे प्यारी प्यारी है.
बहुत खूब! सुन्दर प्रस्तुति|
ReplyDeleteGyan Darpan
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dhanyawad
ReplyDeleteआपकी पोस्ट की खबर हमने ली है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - ब्लॉग जगत से कोहरा हटा और दिखा - ब्लॉग बुलेटिन
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्यारी पंक्तियाँ सर .......... बहुत ही अच्छा लगा पढ़कर ..........
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