एक बार फिर कौशल सा'ब का कलाम आपकी आँखों में सरमाया करना चाहता हूँ क़ुबूल करें .. आपकी दुआओं का तलबगार रहूँगा..
आधा छूटा हुआ जाम
खुली हुई किताब
रिन्दों का साथ
फिर भी अकेला हूँ
याद आती है वो याद
जिनमें मैं जवाँ हुआ
क्या कहूं?
उस रात की बात
मेरा हबीब मुझसे जुदा हुआ
वो हसीं लम्हे,
उनकी जुल्फों का साथ
उनके झुमके की खनक
वो बिंदिया की चमक
अँधेरे में उजाला देने वाली
याद आती है वो याद
जिनमें मैं जवाँ हुआ
क्या करूँ?
कैसे मिटाऊँ उनकी याद
उनका हमसफ़र जो बदल गया
- कौशल किशोर, कानपुर
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
( और गहराई से इनको यहाँ पढ़ा जा सकता है)
आधा छूटा हुआ जाम
खुली हुई किताब
रिन्दों का साथ
फिर भी अकेला हूँ
याद आती है वो याद
जिनमें मैं जवाँ हुआ
क्या कहूं?
उस रात की बात
मेरा हबीब मुझसे जुदा हुआ
वो हसीं लम्हे,
उनकी जुल्फों का साथ
उनके झुमके की खनक
वो बिंदिया की चमक
अँधेरे में उजाला देने वाली
याद आती है वो याद
जिनमें मैं जवाँ हुआ
क्या करूँ?
कैसे मिटाऊँ उनकी याद
उनका हमसफ़र जो बदल गया
- कौशल किशोर, कानपुर
http://dilkikashmakash.blogspot.com/
( और गहराई से इनको यहाँ पढ़ा जा सकता है)
यादो की बहुत खुबसूरत रचना अभिवयक्ति.........
ReplyDeleteवाह भई कौशल जी बढ़िया
ReplyDeleteबहुत खूब ....समय मिले आपको तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है http://aapki-pasand.blogspot.com/
ReplyDeleteवाह बहुत खूब.
ReplyDeletesundar ...
ReplyDeletebahut badhiya
ReplyDeletebahut khub
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