Tuesday, October 18, 2016

मोस्ट पावरफुल परसन ही क्यूँ न बन जाऊं

मैं एक "मोस्ट पावरफुल परसन" ही क्यूँ न बन जाऊं पर हूँ तो आखिर मैं एक लड़की . एक लड़की होने का भार ही बहुत होता है . सौ पत्थर कलेजे पर माँ – बाप के रख दिए जाते हैं तब एक लड़की पैदा होती है , पत्थर से भारी सीना फिर बोझ तले लड़की दबकर इतनी दब जाती है कि बेचारी पहले से ही बोझिल हो जाती है , क्या प्रेम , क्या विश्वास ये सब तो उसको नसीब से मिलता है कहीं गर्भ में ही मार दी जाती है , अगर गलती से जन्म ले भी लिया तो दुनिया में लाकर मार दी जाती है. लाख कोशिशें करले वो खुल के जी नहीं पाती . घुट – घुट कर अन्दर ही अन्दर मर जाती है या मार दी जाती है .


तो क्यूँ पैदा ही करो गर्भ में ही मार देना उनको सही होता है दुनिया में आने ही न दो कम से कम वो गर्भ में तो खुल के साँस ले पायेंगी थोड़ी ही देर सही अंतिम सांस लेने से पहले.   

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