मैं एक "मोस्ट पावरफुल परसन"
ही क्यूँ न बन जाऊं पर हूँ तो आखिर मैं एक लड़की . एक लड़की होने का भार ही
बहुत होता है . सौ पत्थर कलेजे पर माँ – बाप के रख दिए जाते हैं तब एक लड़की पैदा
होती है , पत्थर से भारी सीना फिर बोझ तले लड़की दबकर इतनी दब जाती है कि बेचारी
पहले से ही बोझिल हो जाती है , क्या प्रेम , क्या विश्वास ये सब तो उसको नसीब से
मिलता है कहीं गर्भ में ही मार दी जाती है , अगर गलती से जन्म ले भी लिया तो
दुनिया में लाकर मार दी जाती है. लाख कोशिशें करले वो खुल के जी नहीं पाती . घुट –
घुट कर अन्दर ही अन्दर मर जाती है या मार दी जाती है .
तो क्यूँ पैदा ही करो गर्भ में ही मार
देना उनको सही होता है दुनिया में आने ही न दो कम से कम वो गर्भ में तो खुल के साँस
ले पायेंगी थोड़ी ही देर सही अंतिम सांस लेने से पहले.
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