Tuesday, October 18, 2016

दिल को छू जाने वाली कहानी सौम्या मिश्रा

आज एकाएक किसी की याद आई और मेरी आँखे भर आई।मेरी ये पुरानी याद और दिल के भाव है, जिसे आज शब्द देकर पटल पर प्रस्तुत कर रही हूँ।


कालेज के दिनों के बाद है जब मैं कंटीन में लंच के वक़्त जाया करती थी । वैसे तो वहां बहुत से कर्मचारी थे, लेकिन एक लड़का करीब 13 साल का जिसका नाम अजय वह भी काम किया करता था।
अजय मेरे पास रोज आता था बोलता दीदी नमस्ते और कैसी है, आप । मैं बोलती ठीक हूँ भैया।
थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो एकाएक बोलता दीदी कुछ रूपये होंगे मैं शांत होकर कुछ सोचती फिर बोलती तुम पैसे का क्या करोगे यहाँ काम करते हो उसका पैसा तो मिलता होगा ।
अजय बोलता है हाँ मिलता हैं न 600 रूपया लेकिन पूरा पैसा मम्मी की बीमारी में लग जाता है, मेरी मम्मी बहुत बीमार रहती हैं।मैंने पूछा अच्छा और तुम्हारे पापा वो । तब अजय बोलता की मम्मी बोलती है की जब मैं छोटा था तो वो कहीं चले गए।
फिर मैंने पूछा की जो पैसा मैं देती हूँ उसका क्या करते हो? तो वो बोला को मैं पढाई करता हूँ और जो खर्च आता इस में से ही खर्च कर लेता ।
मैंने कहा की तुम दिन भर यहीं रहते तो पढाई कब करते हो क्योँकि स्कूल तो जाते नही, तो वो बोला मेरे स्कूल के सर बहुत अच्छे है उनकी सब बताया तो उन्हीने कहा की ठीक है शाम को मेरे घर आकर पढ़ लिया करो सो मैं घर जाकर सीधे सर के घर पढ़ने चला जाता हूँ।
मेरा लंच का समय समाप्त हो गया था मैंने अपना बैग उठाया और क्लास की और चल दी,पीछे से अजय आवाज देता दीदी पैसे नही दिए मैंने बैग की चैन खोली 7 रूपये थे उसको दे दिया उसने खुश होते हुए थैंक यू बोला और अपने काम पर लग गया, मैं भी क्लास की ओर चली आई।
तीन चार महीने गुजर गए थे मैं कैंटीन की तरफ से गुजरी वहां अपनी बोतल में पानी भर रही थी मैंने अजय को देखा आवाज लगाई । वह कुछ नही बोला, मैंने कहा क्या हुआ अजय तुम आज कुछ नही बोले तबियत वगैरह ठीक है, लेकिन उसने कुछ जवाब नही दिया ।
मुझे क्लास के लिए देरी हो रही थी और एग्जाम की वजह से कॉलेज बन्द भी होने वाला था तो मैंने बैग से 100 रुपये निकाले और उसे देने लगी, लेकिन अजय ने वो रुपये नही लिए और रोने लगा बोला दीदी अब कोई जरूरत नही क्योँकि पूरे महीने के पैसे बच जाते मेरी मम्मी मर गयी मैं बिलकुल अकेला हो गया।
अब कोई जरूरत नही।
उसको रोता देख मेरी आँखों में आँसू आ गए। मैंने अजय से कुछ भी नही पूछा और वापस क्लास चली आई।
मेरा कॉलेज भी छूट गया, लेकिन आज भी जब अजय के बारे में सोचती हूँ तो बहुत तकलीफ होती है । एक सवाल बार बार आता है मेरे जहन में की पता नही अब वो कैसा होगा? कहाँ होगा?


सौम्या मिश्रा

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