Wednesday, October 19, 2016

क्या सच में प्यार जिंदा है ??










आज करवाचौथ का त्योहार देश भर में धूम धाम से मनाया जा रहा है सभी शादी - शुदा औरतें अपने पतियों के लिए निर्जल उपवास रखती हैं साथ में उनकी लम्बी उम्र की कामना करती हैं, उनके हाथ से पानी पी के व्रत खोलती हैं पति भी प्रसन्न हो के उन्हें विशेष तोहफे देते हैं. लाल लिबास में लिपटी दुल्हन की तरह तैयार हो के महिलायें फिर से अपने उन पुराने दिनों की याद में खो जाती हैं जब वो अपने राजकुमार समान पति का सपना युवा अवस्था में देखती थीं. पर सवाल ये है कि क्या वाक़ई प्यार जिन्दा है ? या ये सब महज एक ढोंग है , भ्रम है, दिखावा है. रोज की ज़िन्दगी में ये सब तो नहीं होता, वहां एक प्रेम करने वाला पति नहीं होता , पत्नी को उसके कर्तव्यों के तले दबाने वाला पति ही होता है. तुम ये क्यूँ पहने हो ? , वहां क्यूँ बैठी , सर पे पल्ला रखो , पैर छुओ और न जाने क्या – क्या ...............
क्यूँ आखिर क्यूँ , एक औरत खुद खाना बनाती है पर सबसे आख़िर में खाती है, रोज सुबह सबसे जल्दी उठती है और रात में काम करके सबसे आखिर में सोती है. यहाँ तक की उसे कपड़े पहनने के तौर तरीके भी ससुराल वाले सिखाते हैं. वो रोज घुट – घुट के जीती है फिर भी मुस्कुराती है. वो उस झिड़क को भी प्रेम समझती है और रम जाती है.
तब आज करवा चौथ के दिन ये प्यार जिन्दा है ? या फिर किसी समाज के कुरीति में लिपटी सुबह से भूखी , प्यासी औरत एक और झिड़क में खुद को खुश रखने झूटी तसल्ली दे रही है. 

- Shikha Pari 

1 comment:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-10-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2501 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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